पानी मांगे न मिले, बिन मांगे भरपूर, फसल पकी है अब खड़ी, चले नहर भरपूर!

पानी मांगे न मिले, बिन मांगे भरपूर, फसल पकी है अब खड़ी, चले नहर भरपूर!

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पूर्व प्रत्याशी समाजवादी पार्टी विधानसभा- 228 हमीरपुर                                   उत्तर प्रदेश में किसान पहले ही महंगाई, मौसम और सरकार की नीतियों से परेशान हैं, ऊपर से प्रशासन की लापरवाही उनकी मेहनत पर पानी फेर रही है। ताजा मामला भरुआ सुमेरपुर का है, जहां पत्योरा पंप कैनाल की पटरी कटने से तीन किसानों की 15 बीघा फसल बर्बाद हो गई।
देवगांव के किसान धर्मेंद्र सिंह, जगदीश सिंह और मुलायम सिंह ने अपनी खून-पसीने की मेहनत से फसल तैयार की थी, लेकिन कैनाल के अचानक चालू होने और कमजोर मरम्मत के कारण पूरी फसल जलमग्न हो गई। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। किसान हर बार इस लापरवाही का शिकार होते हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार आँख मूंदकर बैठी रहती है।

पानी मांगे न मिले, बिन मांगे भरपूर, फसल पकी है अब खड़ी, चले नहर भरपूर!
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब किसानों को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब प्रशासन ने पानी नहीं छोड़ा, और अब जब फसल पक चुकी है, तब नहरों में लगातार पानी बहाया जा रहा है। यह सरकार की अव्यवस्थित नीतियों और सिंचाई विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है। पहले पानी की किल्लत से किसान परेशान रहे, उनकी फसल सूखने के कगार पर थी, और अब जब उनकी मेहनत रंग लाने वाली थी, तब खेतों में जरूरत से ज्यादा पानी भरकर उनकी फसलें डुबो दी गईं। यह किसानों के साथ किया गया सीधा अन्याय है।
ग्राम प्रधान जितेंद्र खरे ने खुद बताया कि सिल्ट सफाई के दौरान नहर की मरम्मत ठीक से नहीं की गई थी, जिसके कारण बार-बार पटरी कट रही है। जब यह समस्या पहले से थी, तो विभाग ने समय रहते सुधार क्यों नहीं किया? क्या सरकार और नहर विभाग किसानों को तबाही के मुहाने पर छोड़ने के लिए बैठे हैं?

यह समस्या सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है, पिछले दिनों तो हमीरपुर में लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे थे, लेकिन सरकार प्रयागराज से 25 हजार लीटर गंगाजल मंगवाकर लोगों में बाँट रही थी। जरा सोचिए जो सरकार टैंकरों में गंगाजल भरकर बांट सकती है, वो लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रही थी! क्या सरकार पीने का साफ पानी भी उपलब्ध नहीं करवा सकती थी?
हम सरकार से मांग करते हैं कि इन तीनों किसानों को तुरंत मुआवजा दिया जाए। नहर विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नहरों की समय पर मरम्मत हो। किसानों और आम जनता की मूलभूत जरूरतों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर सरकार ने जल्द ही इन समस्याओं को हल नहीं किया, तो किसान और जनता सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे और आने वाले चुनावों में भाजपा सरकार को इसका करारा जवाब मिलेगा।

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