अंग्रेज ने तलवार से रानी लक्ष्मीबाई के सिर पर प्रहार किया, जिससे रानी के सिर का एक हिस्सा कट गया और दाई आंख बाहर आ गई। आगे की कहानी पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें

जब रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से अंतिम युद्ध लड़ते हुए घायल हो गई और अंग्रेज उनका पीछा कर रहे थे, तब एक अंग्रेज ने गोली चलाई, जो रानी लक्ष्मीबाई की बाई जंघा में लगी।

इस समय रानी के दोनों हाथों में तलवारें थीं, लेकिन गोली लगने के बाद जब सम्भलना कठिन हुआ, तो उन्होंने बाएं हाथ की तलवार फेंक दी और लगाम पकड़ी।

गोली चलाने वाले अंग्रेज को रानी ने दाएं हाथ की तलवार से समाप्त किया। इसी समय एक और अंग्रेज ने तलवार से रानी लक्ष्मीबाई के सिर पर प्रहार किया, जिससे रानी के सिर का एक हिस्सा कट गया और दाई आंख बाहर आ गई।

ऐसी परिस्थिति में भी रानी ने उस अंग्रेज का कंधा काट दिया। तब तक रानी के साथी गुल मुहम्मद भी आ पहुंचे। गुल मुहम्मद ने उस अंग्रेज के 2 टुकड़े कर दिए।

फिर रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई और उनके अंतिम संस्कार के समय वहां गुल मुहम्मद, रघुनाथ, देशमुख व बालक दामोदरराव थे।

रानी लक्ष्मीबाई के अंतिम समय का ये वर्णन वृंदावनलाल वर्मा ने किया है। वृंदावनलाल वर्मा के परदादा झांसी के दीवान आनंदराय थे, जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का साथ देते हुए वीरगति पाई। इस अंतिम समय के बारे में वृंदावनलाल को उनकी परदादी ने बताया, उस समय वृंदावनलाल की आयु 10 वर्ष थी।
(फोटो झांसी दुर्ग का है जो आज भी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वीरान गवाह है)

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